Karwa Chauth: का त्योहार हर साल विवाहित महिलाओं के जीवन में विशेष स्थान रखता है। यह पर्व केवल एक उपवास का नाम नहीं, बल्कि अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली का प्रतीक है। यह दिन महिलाओं की भक्ति, समर्पण और प्रेम का उत्सव है। जब आप सुबह सूरज की पहली किरणों के साथ सर्गी ग्रहण करती हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा करती हैं, तो लगता है मानो सम्पूर्ण ब्रह्मांड आपके पति की सुख-समृद्धि के लिए सहयोग कर रहा हो।
इस साल Karwa Chauth का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे होगी और यह 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक रहेगी। इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद अपने व्रत को पति के हाथ से जल ग्रहण कर समाप्त करती हैं।
Karwa Chauth पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष Karwa Chauth की पूजा का शुभ समय शाम 5:57 बजे से शुरू होकर 7:11 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा में विशेष फलदायकता मानी जाती है। चंद्रमा का उदय समय शाम 8:13 बजे है, हालांकि यह समय शहर के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है।
विभिन्न मुहूर्त इस प्रकार हैं:
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:40 से 5:30
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अभिजित मुहूर्त: 11:45 से 12:31
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विजय मुहूर्त: 2:04 से 2:51
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गोदुली मुहूर्त: 5:57 से 6:22
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अमृत काल: 3:22 से 4:48
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निशिता मुहूर्त: रात 11:43 से 12:33 (10 अक्टूबर की रात)
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लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 7:46 से 9:13
इन मुहूर्तों के अनुसार पूजा करने से व्रत का फल अधिक शुभ माना जाता है।
Karwa Chauth पूजा विधि
Karwa Chauth का व्रत मुख्य रूप से पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। महिलाएं सवेरे सर्गी ग्रहण कर निर्जल व्रत प्रारंभ करती हैं। शाम के समय वे चतुर्थी तिथि के अनुसार घर पर पूजा करती हैं। इस दिन चांद्रमा की पूजा सबसे प्रमुख होती है। महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की आराधना करती हैं। पूजा के बाद चंद्रमा के दर्शन कर पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ा जाता है। यह दिन भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है।
Karwa Chauth पूजा सामग्री
पारंपरिक रूप से Karwa Chauth की पूजा में कई सामग्री का प्रयोग किया जाता है। इसमें शामिल हैं लकड़ी की आसन, शुद्ध घी, पान के पत्ते, सेंकना, कलश, हल्दी, रोली, सात सूत्री धागा, मिठाइयां, छलनी, कलश भरने के लिए चावल, दान सामग्री, साबुत अनाज, चंदन का लेप, फल, पीली मिट्टी, फूल और मिट्टी या तांबे का कलश एवं ढक्कन। इन सामग्रियों के साथ पूजा अधिक पारंपरिक और पवित्र बनती है।
Karwa Chauth केवल एक दिन का व्रत नहीं, बल्कि विवाहित जीवन में प्यार और विश्वास की मजबूत नींव रखने का अवसर है। यह त्योहार न केवल पति की लंबी उम्र की कामना करता है, बल्कि महिलाओं को अपने प्रेम और समर्पण के माध्यम से आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव भी कराता है। इस दिन का आनंद तभी पूरी तरह महसूस होता है जब पूजा विधि का पालन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए।
Karwa Chauth का यह पर्व हर साल महिलाओं में उत्साह और आनंद की भावना पैदा करता है। चाहे सुबह की सर्गी हो या रात का चांदनी अर्घ्य, हर पल इस व्रत की विशेषता और आशीर्वाद का अनुभव कराता है। इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जीवन में भी गहरा असर डालता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई पूजा विधि, मुहूर्त और समय सामान्य जानकारी के लिए हैं। कृपया अपने स्थानीय पंचांग या ज्योतिषाचार्य से सही समय और विधि की पुष्टि अवश्य करें।